भगत सिंह की डायरी – "मैं नास्तिक क्यों हूँ?" का वास्तविक अर्थ और प्रेरणा

Bhagat Singh photo


भगत सिंह की डायरी – "मैं नास्तिक क्यों हूँ?" का वास्तविक अर्थ और प्रेरणा -


प्रस्तावना:


भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में शहीद-ए-आजम भगत सिंह का नाम सबसे ऊपर आता है। वे केवल एक क्रांतिकारी ही नहीं, बल्कि एक गहन चिंतक और लेखक भी थे। उनकी डायरी और लेख आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
उनकी लिखी हुई सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है – "मैं नास्तिक क्यों हूँ?" (Why I am an Atheist)। इस लेख में भगत सिंह ने न सिर्फ अपने व्यक्तिगत विचार रखे, बल्कि धर्म, आस्था और विज्ञान के बीच संतुलन को भी समझाने की कोशिश की।


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"मैं नास्तिक क्यों हूँ?" की पृष्ठभूमि -


भगत सिंह ने यह लेख 1930 में जेल के अंदर लिखा था। उस समय वे फांसी की सज़ा का इंतजार कर रहे थे। कई लोगों ने उन पर आरोप लगाया कि वे भगवान को मानते नहीं हैं और इसलिए वे "घमंडी" हैं। इस आरोप का जवाब देने के लिए भगत सिंह ने गहन तर्कों के साथ यह निबंध लिखा।


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भगत सिंह के विचार -


1. अंधविश्वास का विरोध –
भगत सिंह का मानना था कि अंधविश्वास इंसान की सोच को सीमित कर देता है। उन्होंने लिखा कि केवल पूजा-पाठ या चमत्कारों से समाज आगे नहीं बढ़ सकता।


2. विज्ञान और तर्क की प्रधानता –
वे कहते थे कि सच्चा ज्ञान सवाल पूछने और तर्क करने से आता है। उन्होंने धर्म और आस्था का सम्मान किया, लेकिन कहा कि समाज को आगे ले जाने के लिए विज्ञान और शिक्षा जरूरी है।


3. ईश्वर की भूमिका पर सवाल –
भगत सिंह का मानना था कि अगर ईश्वर सच में है, तो दुनिया में इतना अन्याय और कष्ट क्यों है? वे इस बात को स्वीकार करते थे कि इंसान को खुद अपने कर्मों और संघर्ष से बदलाव लाना होगा।




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आज के समय में "मैं नास्तिक क्यों हूँ?" का महत्व -


आज जब समाज में धर्म, जाति और संकीर्ण सोच को लेकर तनाव है, भगत सिंह के विचार और भी प्रासंगिक हो जाते हैं।

वे हमें बताते हैं कि सवाल पूछना गुनाह नहीं है।

सच्ची आस्था वही है जो मानवता और समानता को बढ़ावा दे।

युवाओं को विज्ञान, शिक्षा और प्रगति की राह पर चलने की प्रेरणा मिलती है।



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प्रेरणा युवाओं के लिए -


भगत सिंह केवल स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि विचारों के योद्धा भी थे। उनका यह लेख आज भी हमें सिखाता है कि:

अपने विश्वासों पर सवाल उठाना ज़रूरी है।

बिना तर्क और ज्ञान के किसी चीज़ को मान लेना गलत है।

सच्ची ताकत शिक्षा और जागरूकता से आती है।



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निष्कर्ष 💡


भगत सिंह की डायरी में लिखा गया "मैं नास्तिक क्यों हूँ?" सिर्फ नास्तिकता का समर्थन नहीं है, बल्कि यह एक विचारशील जीवन जीने का संदेश है। यह लेख हमें सिखाता है कि हमें अंधविश्वास से ऊपर उठकर तर्क, विज्ञान और मानवता की राह चुननी चाहिए।

भगत सिंह ने अपनी कलम और विचारों से दिखाया कि आज़ादी सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि सोच की आज़ादी भी है। यही कारण है कि उनका यह लेख आज भी उतना ही जीवंत और प्रेरणादायी है।




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